फर्जी डॉक्टरों की डिग्री मामले में भारतीय चिकित्सा परिषद के तीन कर्मचारी गिरफ्तार,मास्टरमाइंड से मिलीभगत कर डिग्री को रजिस्ट्रेशन कराने का गोरखधंधा..

फ़र्जी BAMS डिग्री डॉक्टरों के मामले में अब देहरादून पुलिस ने भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के तीन उन कर्मचारियों को महत्वपूर्ण सबूतों के साथ गिरफ्तार किया है.जिनका मास्टरमाइंड इमलाख के साथ मिलीभगत कर ये गोरखधंधा फल फूल रहा था.पुलिस के शिकंजे में आए तीनों कर्मचारी भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड देहरादून नेहरू कॉलोनी में क्लर्क के पद पर तैनात थे.पुलिस ने इनके कब्जे से चिकित्सा परिषद में फर्जी डिग्री रजिस्ट्रेशन वाले संदिग्ध दस्तावेज और कई अलग-अलग राज्यों के मेडिकल कॉलेज लेटर पैड,लिफ़ाफ़े व मोहरें बरामद की हैं.. देहरादून डीआईजी दलीप सिंह कुंवर के मुताबिक अभी इस गोरखधंधे में शामिल कई लोग आने वाले दिनों में गिरफ्तार हो सकते हैं.

भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड से गिरफ्तार कर्मचारी

1-विमल प्रसाद पुत्र पदम् दत्त बिजल्वाण, (उम्र 37 वर्ष)निवासी गली नंबर 8 फेस नंबर 2 सिद्ध विहार, लोअर नेहरूग्राम..मूल निवासी ग्राम बागी पट्टी बमुंडा, जनपद टिहरी गढ़वाल.

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2- अंकुर महेश्वरी पुत्र प्रदीप कुमार महेश्वरी (उम्र 43 वर्ष )निवासी हरीपुर नवादा, थाना नेहरू कॉलोनी जनपद देहरादून. मूल पता सिकंदराराऊ, जिला हाथरस, उत्तर प्रदेश.

3- विवेक रावत पुत्र रामनारायण रावत (उम्र 43 वर्ष ) वासी 183 ऑफिसर कॉलोनी रेस कोर्स देहरादून. मूल निवासी -ग्राम-अजनर,जिला महोबा, उत्तर प्रदेश.

फर्जी डिग्री रजिस्ट्रेशन कराने के एवज में 60 हजार से 1लाख की कमाई..

पुलिस खुलासे के मुताबिक मुजफ्फरनगर स्थित फर्जी शिक्षण संस्थान का चेयरमैन इमलाख नकली डॉक्टरों की जाली डिग्री बनाकर भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के इन तीनों आरोपित क्लर्क को रजिस्ट्रेशन कराने की जिम्मेदारी देता था.चिकित्सा परिषद के आरोपित तीनों कर्मचारी संबंधित राज्यों के मेडिकल कॉलेज को NOC (वेरिफिकेशन) की फ़ाइल में कुछ ना कुछ कमी दिखाकर डाक द्वारा पत्राचार कर भेजते थे.ताकि संबंधित यूनिवर्सिटी उस फाइल को  होल्ड कर वापस न भेजे. इधर दूसरी तरफ डाक से फ़ाइल भेजने के कुछ दिन बाद मास्टरमाइंड इमलाख खुद कर्नाटक, बिहार और राजस्थान जैसे मेडिकल संस्थानों में जाता था.और वहां से कूटरचित तरीके से फर्जी एनओसी तैयार करवा उसी यूनिवर्सिटी के बाहर डाक पोस्ट से संबंधित डिग्री की वेरिफिकेशन  फ़ाइल OK कर भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड को भेज देता था. इधर फर्जी डिग्री की फाइल चिकित्सा परिषद देहरादून में पहुंचने के बाद तीनों आरोपी परिषद के कर्मचारी अपनी-अपनी भूमिका के अनुसार उस डिग्री का रजिस्ट्रेशन भारतीय चिकित्सा परिषदउत्तराखंड में करवा देते थे. इस जालसाजी के काम के लिए चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के तीनों क्लर्क को प्रति डिग्री के हिसाब से 60 हज़ार से 1 लाख रूपए इमलाख से मिलते थे.

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बता दें कि BAMS फ़र्जी डिग्री डॉक्टर मामले में अब तक मुजफ्फरनगर बाबा कॉलेज ऑफ स्टडी के चेयरमैन व मास्टरमाइंड इमरान,इमलाख के अलावा 6 नकली डॉक्टर सहित 11 अभियुक्त गिरफ्तार हो चुके हैं.

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वर्ष 2012 से चल रहा था फ़र्जी डिग्री रजिस्ट्रेशन कराने का गोरखधंधा..

पुलिस जांच पड़ताल में इस बात की तस्दीक हुई हैं कि फर्जी BAMS डिग्री को भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में जालसाजी तरीके से रजिस्ट्रेशन कराने का गोरखधंधा वर्ष 2012 से चल रहा था. छानबीन में पता चला कि गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपित कर्मचारी चिकित्सा परिषद में पहले 2005 से 10 साल से संविदा कर्मी के तौर पर तैनात थे. फिर उसके बाद 2015 से भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के स्थाई (परमानेंट) कर्मचारी हो गए.

बाइट:दलीप सिंह कुँवर, DIG, देहरादून

खबर सनसनी डेस्क

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