उत्तराखंड में बाघों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी अच्छी ख़बर,लेकिन संदिग्ध मौतों से चिंताएं भी !

देहरादून: वर्ष 2018 में देश के सभी राज्यों में बाघों की गणना की गई थी जिसके जारी आंकड़ों में उत्तराखंड देश के उन प्रदेशों में शुमार हुआ जिसमें बाघों का संरक्षण तेजी से सुधार आया. यह एक अच्छी बात है. राज्य में सबसे बड़े राजाजी नेशनल पार्क और जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में 2008 के आंकड़ों  उपरांत बाघों की संख्या तेजी से बढ़ोतरी हुई है.वर्ष 2008 में प्रदेश में जहाँ 179 बाघ चिन्हित किए गए थे.जबकि वर्ष 2018 में हुई गणना में इनकी संख्या में तेजी से उछाल आया और बाघों की संख्या बढ़कर 442 तक पहुंच गई.वही साल 2022 में भी एक बार फिर बाघों की गणना की गई है लेकिन देश में अभी कई राज्यों के साथ-साथ उत्तराखंड में भी अभी बाघों की संख्या के ताजा आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं.हालांकि उम्मीद हैं कि इनकी संख्या में संरक्षण के अनुसार बढ़ोतरी दर्ज देखी जा सकती हैं. लेकिन दूसरी तरफ बाघों के ताजे आंकड़े जारी होने से ठीक पहले उत्तराखंड वन विभाग की की चिंताएं भी बढ़ गई है. दरअसल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में संदिग्ध परिस्थितियों में लगातार बाघों की मौत का मामला सामने आ रहा है.बीते दिन तक कुमाऊं रीजन के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अब तक 13 बाघों की संदिग्ध तरीके से मौत हो चुकी है.

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कुछ वृद्ध बाघों की स्वाभाविक मौत, लेकिन शिकारियों पर ड्रोन की पैनी नजर से कार्रवाई जारी: वन मंत्री

बताया जा रहा हैं कि पिछले दिनों कॉर्बेट नेशनल पार्क एक बाघ कुछ शिकारियों के लगाए फंदे में फंसने से गंभीर रूप से घायल हो गई थी.ऐसे में बाघों की लगातार बढ़ोतरी के बीच उनकी हो रही मौत ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में शिकारियों की सक्रियता पर संदेह बढ़ा दिया है. हालांकि इस गंभीर विषय पर प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि इस मामले में जांच सौंप दी गई है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.वही वन मंत्री ने यह भी कहा कि उम्र दराज हुए बाघों की मौत प्राकृतिक रूप से प्रक्रिया हैं. लेकिन जहां तक सक्रिय शिकारियों द्वारा इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने की बात आई है.उसमें कई लोग पकड़े भी गए हैं.वन विभाग की स्पेशल  मॉनिटरिंग टीमें गंभीरता से ड्रोन की नज़र से मॉनिटरिंग कर बाबू को हर संभव तरीक़े से संरक्षण दे रही है.

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बाइट: सुबोध उनियाल,वन मंत्री उत्तराखंड

खबर सनसनी डेस्क

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