
देहरादून: हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से लगे बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले में अगली तारीख को फैसला सुनाए जाने की उम्मीद की जा रही है!.माना जा रहा है सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अदालत में इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई होगी!.
पिछली तारीख में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जयमाला बागची की बेंच में इसकी सुनवाई हुई थी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत को देश का अगला मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई ) नियुक्त किया है। जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में 14 नवंबर को बनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले की सुनवाई हुई थी कब्जेदारों और सरकार पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई अगली तिथि 2 दिसंबर तय की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस जयमाला बागची के बेंच में उक्त केस की सुनवाई हुई थी
जानकारी के अनुसार माननीय उच्चतम न्यायालय में बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले की सुनवाई के दौरान माननीय उच्चतम न्यायालय में पक्षकारों द्वारा अपना पक्ष रखा गया था।
रेलवे द्वारा अपनी योजना के अनुरूप निर्माण हेतु 30 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता बताई गई तथा इस पर हुए अतिक्रमण को शीघ्र खाली कराते हुए इस भूमि को यथाशीघ्र खाली करने हेतु न्यायालय से निर्देश देने का अनुरोध किया गया।
पिछली सुनवाई के दौरान बेंच ने ये भी कहा था कि इस मामले को वे अगली तारीख में विस्तार से सुनेंगे।
14 नवंबर की सुनवाई में रेलवे की तरफ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी तथा उत्तराखंड सरकार की ओर से अभिषेक अत्रे उपस्थित रहे।
कब्जेदारों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान ख़ुर्शीद प्रशांत भूषण सहित अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे थे.
विपक्षी उत्तर दाताओं के अधिवक्ताओं द्वारा दो प्रमुख बिंदु उठाया गया है कि रेलवे द्वारा जो ज़मीन की माँग की गई है वह माँग पूर्व में नहीं थी और रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को अब नुक़सान नहीं होगा क्यों की रिटेलिंग वाल का निर्माण कर दिया गया है. और दूसरा बिंदु यह उठाया गया है कि लंबे समय से रहने वाले लोगों को अब प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिए जाने की बात कही जा रही है जो की अनुचित है। इसका विरोध रेलवे की अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी द्वारा किया गया..
उल्लेखनीय है कि बनभूलपुरा रेलवे मामले में रेलवे की अदालत में कई सालों तक ये मामला चला उसके बाद हाई कोर्ट में भी सुनवाई हुई, जिसमें फैसला कब्जेदारी के खिलाफ गया।










