देहरादून: ऐतिहासिक कनॉट प्लेस गिरासू भवनों को ध्वस्तीकरण करने की कार्यवाही एक बार फिर अधर पर लटकती नजर आ रही हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद यहाँ काबिज़ 18 अवैध कब्जेदारों को हटाने की कार्यवाही बुद्धवार तय तारीख़ में शुरू होते ही फिर से विफल रही ..हालांकि बमुश्किल एक गोदाम को खाली कर सील किया गया. लेकिन बाकी दुकानों और मकानों को खाली कराने की कार्रवाई में भारी विरोध व व्यवधान कारण पूरी नहीं हो सकी.ऐसे में प्रशासन की कार्रवाई फ़िलहाल एक बार फिर अधर पर लटक गई है. इससे पहले भारी पुलिस बल के साथ बुद्धवार सुबह कार्यवाही के लिए पहुँची प्रशासन की टीम कनॉट प्लेस के उन भवनों पर पहुँची जहां एक अर्से से कब्जेदार व व्यापारी निवास कर रहे हैं.लेकिन प्रशासन की कार्यवाही से पहले ही यहाँ काबिज़ लोगों ने उन्हें बसाने की दुहाई देते हुए जमकर हंगामा काटा.
80 वर्ष की उम्र में अपाहिज बच्चों को लेकर कहां जाऊं: बुजुर्ग
कनॉट प्लेस के ऐतिहासिक गिरासू-जर्जर भवन में लगभग 1934 से रहने वाली धर्मी देवी ने प्रशासन की कार्रवाई पर दुख जताते अपनी पीड़ा बया की. उन्होंने कहा कि 80 साल की उम्र में वह अपने दो अधेड़ उम्र के अपाहिज बच्चों को लेकर अब वह कहाँ जाए.परिवार में और कोई घर नहीं है.अब जिस तरह से हटाने की कार्यवाही हो रही है,उससे वह लोग सड़क पर आ जाएंगे..सरकार पहले उन्हें रहने का कोई ठिकाना दे.उसके बाद अपनी दुकानें और मकान कब्जे में ले.. धर्मी देवी का कहना हैं देश आज़ादी से पहले जब कनॉट प्लेस भवन की ईट निर्माण के तौर पर रखी थी तभी से वह यहां पर रहती है.अब दशकों बाद उनका यह हाल होगा कभी सोचा न था.
बेघर होने से पहले हम यही मरेंगे:बुजुर्ग
वही कनॉट प्लेस के भवन के प्रथम तल में 1965 से रहने वाली 78 वर्षीय आशा रानी भी अपना दुख जताते हुए कहती है देश बंटवारे के समय लोगों को बुला-बुला कर यहाँ बसाया गया था. रोजी रोटी के लिए दुकानें और रहने के लिए कराए पर मकान दिए गए.लेकिन आज इतने वर्षों बाद यहां से बेघर कर हटाया जा रहा है. इससे बड़ा दुख और क्या हो सकता है.इतना ही नहीं आशा रानी कहती हैं अब ऐसे स्थिति में कहां जाएंगे यह सूझ नहीं रहा हैं.ऐसे में अब हम यही मरेंगे.
कब्जेदारों के पास कोई वैध दस्तावेज नहीं हैं: प्रशासन
उधर सुप्रीम कोर्ट के आदेश मुताबिक कनॉट प्लेस के गिरासू भवनों को कब्जेदारों से खाली कराने पहुंचे तहसीलदार सोहनलाल ने साफ तौर पर कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन हर हाल में किया जाएगा. कुछ लोगों को हटाया गया है लेकिन कई तरह का व्यवधान आया है. जिसकी रिपोर्ट आगे पेश की जा सकती हैं. विरोध करने वाले कब्जेदारों के पास कोई वैध दस्तावेज अभिलेख नहीं है. मौखिक तौर पर ही दावा किया जा रहा है जो पूरी तरह से गलत है।