वर्ष 2008 में भ्रष्टाचार के एक मामले में हरिद्वार तहसील के तत्कालीन रिकवरी अमीन को रिश्वतखोरी मामले में दोषी करार देते हुए देहरादून विजिलेंस विशेष अदालत ने 2 साल सश्रम की सजा सुनाई है. इतना ही नहीं तमाम सबूतों के आधार पर 7 व 13 (2)भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में दोषी पाते हुए तत्कालीन अमीन सतीश कुमार पुत्र सतीश,निवासी ग्राम- अन्नेक, पो. औरंगाबाद, थाना रानीपुर (हरिद्वार) पर ₹5000 का आर्थिक दंड भी लगाया है..
बैंक लोन भुगतान रशीद के एवज में ली थी रिश्वत की रकम
उत्तराखंड विजिलेंस के अनुसार मामला 29 अगस्त 2008 का है. हरिद्वार निवासी शिकायतकर्ता अब्दुल मलिक पुत्र अब्दुल कादिर ने प्रार्थना पत्र देते हुए बताया कि तहसील हरिद्वार के रिकवरी अमीन सतीश कुमार द्वारा यूनियन बैंक से लिये गये लोन की भुगतान राशि 19470.00 रुपये की प्राप्ति रशीद देने के एवज में 1 हजार रिश्वत की मांग की गई. अमीन ने रिश्वत की रकम को लेकर शिकायतकर्ता को 1 सितंबर 2008 को हरिद्वार रेलवे स्टेशन में बुलाया. शिकायतकर्ता की प्रार्थना पत्र पर जाँचों उपरान्त आरोप सही पाये जाने देहरादून विजिलेंस टीम द्वारा नियमानुसार 01 सितम्बर 2008 को तत्कालीन हरिद्वार तहसील रिकवरी अमीन सतीश कुमार को शिकायतकर्ता अब्दुल मलिक से 1000/ (एक हजार रूपये ) की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया.कार्रवाई के उपरांत अभियुक्त अमीन के खिलाफ धारा 07 व 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया. इसके बाद मुकदमे की गहन विवेचना के दौरान दस्तावेज व वैज्ञानिक साक्ष्य व सबूतों के आधार पर नियमानुसार शासन से अनुमति प्राप्त कर आरोपी अमीन के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी.