देहरादून: सुद्धोवाला जेल में कैदीयों को स्वरोजगार से जोड़ने की एक और अभिनय पहल.अब ब्रांडेड कंपनियों की Shirt बनाने की ट्रेंनिग..हमारा मक़सद कैदियों को अपराध की दुनियां से बाहर लाकर,श्रम करके बेहतर आजीविका चलाने के लिए प्रेरित करना : पवन कोठारी,जेलर

देहरादून:उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित सुद्धोवाला जेल में कैदियों को सुधारने के दृष्टिगत नए-नए कदम उठाने का सिलसिला लगातार लंबे समय से जारी हैं.इसी क्रम में अब जेल में सजा काट रहे कैदियों को बाक़ायदा ब्रांडेड कंपनियों की कमीज (Shirt)  तैयार करने की ट्रेनिंग देकर हुनर्वान बनाया जा रहा है..मक़सद.. अपराध की दुनियां को त्याग श्रम करके कैदी एक सभ्य नागरिक की तरह बाहर जाकर अपने स्वरोजगार से आजीविका चला सकें..बता दें कि सुद्धोवाला जेल में सजायाफ्ता कैदियों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए लंबे समय से कई तरह कारीगरी वाले कामकाज सिखाये जाते हैं.इसमें इलेक्ट्रॉनिक आईटम्स की कारीगरी से लेकर फर्नीचर बनाने,हाथ के कालीन बनाने,गमले तैयार करने सहित साज-सजावट जैसे आइटम तैयार करना सिखाया जाता रहा हैं…जेल में इन सभी तरह के कार्यो को जेल की इंडस्ट्री भी कहा जाता हैं..इससे न सिर्फ प्रत्येक वर्ष कारागार विभाग को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है,बल्कि कारीगरी का काम करने वाले कैदियों को भी अच्छा मेहनताना मिलता है.

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बाईट: पवन कोठारी,सुद्धोवाला, जेलर..

 अपराध कारित करके नहीं,बल्कि श्रम कामगार बनके एक बेहतर आजीविका चलाई जा सकती हैं : पवन कोठारी,जेलर

उत्तराखंड में पहली बार जेल में इस तरह का काम अभिनय पहल हैं. इसमें एक फैक्ट्री की भांति कैदी मानव श्रम कर रहे हैं.. सबसे अच्छी बात यह हैं कि सजा काटने के साथ -साथ फैक्ट्री लेबर रूप में कैदियों को जेल में कामगार बनाना एक बड़ी उपलब्धि हैं.जेलर कोठारी कहते के उनका मक़सद कैदियों को ये अहसास कराना हैं कि श्रम करके भी अच्छा जीवन यापन किया जा सकता हैं,नाकि ड्रग्स बेचकर, चेन स्नैचिंग करके,लूट करके या डकैती करने जैसे अपराध को कारित करके.. जेलर कोठारी के अनुसार उनका उद्देश्य यही हैं कि अपराध की दुनिया को छोड़ एक कैदी सम्मान भरी जिंदगी जीने के लिए श्रम करके भी अपने परिवार की आजीविका बेहतर कर सकता है.इसी क्रम में सेलाकुई की एक नामी कंपनी ने शर्ट स्टिचिंग का काम सुद्धोवाला जेल को दिया हैं. कंपनी द्वारा हाईटेक सिलाई मशीन दी गई है. ट्रेनर उपलब्ध कराए गए हैं,जो कैदियों को बेहतरीन तरीके से काम सीख रहे हैं. जल्द ही जेल से एक बड़ा व्यवसाय रेडीमेड ब्रांडेड कमीज तैयार करने का शुरू हो जाएगा.इस काम से न सिर्फ जेल को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होगा, बल्कि कैदियों को भी अच्छा खासा मेहनताना मिलेगा और वह हुनर्वान बनकर अच्छे नागरिक की तरह जेल से बाहर जाकर अपराध को त्याग अच्छी तरह आजीविका चला सकेंगे.

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प्रत्येक वर्ष बढ़ रहा है जेल इंडस्ट्री से राजस्व का शुद्ध लाभ:जेलर

सुद्धोवाला जेलर पवन कोठारी की माने तो जेल में कैदी उनके लिए दया का पात्र हैं.और इसी नजरिया से उन्हें सभ्य नागरिक बनाने की दिशा में अलग-अलग तरह के हुनर सीखा स्वरोजगार से जोड़ने की मुहिम लगातार जारी है.. ताकि कैदी जेल से बाहर जाकर अपराध त्याग एक जिम्मेदार नागरिक की तरह आत्मनिर्भर बन अपने रोजगार से परिवार का भरण पोषण कर सके..जेलर कोठारी के मुताबिक जेल में चलाई जा रही इस इंडस्ट्री से न सिर्फ जेल विभाग को सालाना शुद्ध राजस्व प्राप्त होता है,बल्कि जेल में काम करने वाले कैदियों को भी अच्छी आमदनी हो जाती है..वर्ष 2022-23 में देहरादून सुद्धोवाला जेल इंडस्ट्री से सभी खर्च निकालकर 8 लाख रुपये से अधिक शुद्ध लाभ हुआ था.उम्मीद है वर्ष 2023-24 में यह मुनाफ़ा और अधिक बढ़ेगा.जेलर पवन कोठारी बताते हैं कि कुछ समय पहले सेलाकुई की एक बड़ी कंपनी से रेडीमेट कमीज तैयार करने का समझौता हुआ.इसके लिए अलग-अलग ब्रांडेड कंपनियों के शर्ट बनाने के लिए जेल में चुनींदा 28 कैदियों को हाईटेक सिलाई मशीनें और रॉ मैटेरियल देकर ट्रेंनिग दी जा रही हैं. जल्द ही कैदियों द्वारा तैयार की गई ब्रांडेड Shirt सम्बंधित कंपनी के सौजन्य से बाज़ार में उपलब्ध होगी..

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परमजीत सिंह लाम्बा

संपादक - खबर सनसनी

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