देहरादून: देहरादून के बहुचर्चित फर्जी रजिस्ट्री घोटाले मामले में संलिप्त तीसरे गिरोह से जुड़े एक और अधिवक्ता को एसआईटी ने गिरफ्तार किया है.. 64 वर्षीय देहरादून नेहरू कॉलोनी निवासी अभियुक्त देवराज तिवारी पुत्र अर्जुन प्रसाद को एक दिन पहले गिरफ्तार किये गए मुख्य अभियुक्त हुमायूं परवेज़ से पूछताछ में नाम सामने आने के उपरांत साक्ष्य संकलन के आधार पर 12 अक्टूबर की देर रात दबोचा गया है.. पुलिस के अनुसार अधिवक्ता देवराज तिवारी ने भी अभियुक्त हुमायूँ परवेज़ की तरफ ही माजरा स्थित लाल सरणीमल और लाला मणिराम की 55 बीघा जमीन खसरा नंबर 594,595 की वर्ष 1958 की फर्जी रजिस्ट्री अपने पिता अर्जुन प्रसाद के नाम कराई थी.
गिरोह में शामिल अन्य अभियुक्त की धरपकड़ जारी: एसएसपी
देहरादून एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक अभी इस गिरोह से जुड़े सहारनपुर रिकॉर्ड ऑफिस कर्मचारी देव कुमार सहित कई लोगों की तलाश जारी है.जल्द ही अन्य अभियुक्तों की गिरफ्तारीयां सुनिश्चित की जाएगी..
पुलिस खुलासे के अनुसार गिरफ्तार अभियुक्त देवराज तिवारी ने पूछताछ में बताया कि वर्ष 2014 में अभियुक्त मदन शर्मा पुत्र स्व- गिरधारी लाल निवासी दूधली हाल का निवास दिल्ली की तरफ से खसरा नंबर 594,595 मौजा माजरा का एक वाद (केस) सिविल डिविजन में कैंट बोर्ड की तरफ से लड़ रहा था. वर्ष 2017 में उसके द्वारा मदन मोहन शर्मा के वाद को वापस ले लिया गया. हालांकि वह दूसरी तरफ अभियुक्त समीर कामयाब के गोल्डन फॉरेस्ट के केस को भी लड़ रहा था.जांच में पता चला कि एक बार समीर नाम का व्यक्ति हुमायूं परवेज़ को उसके चेंबर में लाया था. तब उसने बताया कि माजरा की एक जमीन जिसका केस वह मदन मोहन शर्मा दूधली वाले के नाम से लड़ रहा है.उस केस में जीतने के चांस कम हैं. लिहाजा कोई ऐसा आदमी मिल जाए जिनकी रजिस्ट्री हो जाए तो काम बन जायेगा..समीर की सहारनपुर में रजिस्ट्रार ऑफिस में पहचान थी तो उसने वहां से जरूरी जानकारी जुटा ली और फिर कुछ दिन बाद अभियुक्त देवराज तिवारी,हुमायूँ परवेज और समीर ने अपने साला शमशाद को अपने किराये के घर सी-15 टर्नर रोड में मीटिंग के लिए बुलाया.यहाँ यह तय हुआ कि उक्त जमीन की रजिस्ट्री उसके मूल मालिक लाला सरणी मल से हुमायूँ के पिता जलीलू रहमान एवं लाला मणि राम से अभियुक्त के पिता अर्जुन प्रसाद के नाम पर करवाई जायेगी.इसके उपरांत काम होने के बाद जो भी पैसा मिलेगा,उसको सब आपस में बाँट लेंगे.. योजना के मुताबिक समीर कामयाब पुराने पेपर लेने के लिए सहारनपुर गया और अब्दुल गनी कबाड़ी की दुकान से पुरानी रद्दी के कोरे पेपर लाया जो रजिस्ट्री बनाने में काम आने थे. उसके बाद हुमायूँ और समीर कामयाब सहारनपुर रिकॉर्ड रूम में फर्जी रजिस्ट्री लगाने से सम्बन्धित जानकारी लेने सहारनपुर गये.यहाँ उन्होनें सहारनपुर स्थित रजिस्टार रिकॉर्ड रूम में काम करने वाले देव कुमार पुत्र शोभा राम निवासी मोहल्ला नवीन नगर (सहारनपुर) की मिलीभगत से रजिस्ट्री बदलने के सम्बन्ध में जानकारी ली तो उसके द्वारा बताया गया की वर्ष 1958 की जिल्द का कोई इंडेक्स नहीं बना हुआ है.ऐसे में तुम लोग इसी वर्ष की फर्जी रजिस्ट्री बना कर तैयार कर लो. और फ़िर उसी साइज के लिए देव कुमार द्वारा किसी अन्य रजिस्ट्री की फोटो स्टेट दी और उसके बाद ये दोनों समीर कामयाब के घर पहुंचे.
फर्जी रजिस्ट्री तैयार करने के लिए पेपर को बिल्कुल उसी साइज की कटिंग और लाइनिंग समीर के द्वारा तैयार की गयी.और फिर छपाई के लिए समीर कामयाब ने कार्ड वालों के यहाँ से फर्जी रजिस्ट्री के पेपर को कॉफी या चाय के पानी में डुबा कर उन्हें सुखाते हुए उन पर प्रेस कर पेपर तैयार किये गये..इसके बाद लाला सरणीमल एवं लाला मणिराम की 55 बीघा जमीन खसरा नंबर 594, 595 की वर्ष 1958 की फर्जी रजिस्ट्री हुमायूँ के पिताजी जलीलू रहमान एवं अभियुक्त के पिता अर्जुन प्रसाद के नाम पर अभियुक्त के घर पर सब लोगों के सामने तैयार की गयी.. अंग्रेजी की ड्राफ्टिंग अभियुक्त देवराज तिवारी द्वारा तैयार की गयी थी,जिसे समीर कामयाब द्वारा बुलाई गई लड़की सना सैफी पुत्री इकबाल निवासी आजाद कॉलोनी टर्नर रोड के द्वारा रजिस्ट्री के कागजों में नकल किया गया. यह काम सना ने समीर कामयाब के कहने पर किया था..
55 बीघा के फर्जी कागज रिकॉर्ड ज़िल्द में चिपकाने के लिए 03 लाख दिए..
फर्जी रजिस्ट्री तैयार होने के बाद उसे सहारनपुर के रिकॉर्ड रूम में जिल्द में चिपकाने के लिए 03 लाख रुपये सहारनपुर निवासी देव कुमार को देने की बात हुई.इसके लिए 03 लाख रुपये एवं फर्जी रजिस्ट्री लेकर शमशाद देव कुमार के पास पहुँचा. रुपये लेकर देव कुमार ने फर्जी रजिस्ट्री चिपकाने का काम किया. दो-तीन दिन बाद उसकी नकल को समीर कामयाब और वकील अहमद सहित हुमायूँ परवेज ने सहारनपुर रिकॉर्ड रूम से निकलवा कर ले आए. और फिर लाला सरणीमल एवं लाला मणिराम वाली 55 बीघा जमीन की पैमाइश करने के लिए हुमायूँ द्वारा एसडीएम के यहां एक वाद दायर किया गया और उसकी एक फाइल नैनीताल हाईकोर्ट में भी चला दी थी.. हाई कोर्ट के आदेश से संयुक्त टीम द्वारा उक्त भूमि का निरीक्षण किया गया.इस कार्यवाही में हुमायूँ परवेज को कागज दिखाने को भी कहा परंतु उक्त जमीन वर्ष 1958 में ही तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा रक्षा मंत्रालय को हस्तान्तरित की गयी थी.इस कारण हुमायूँ परवेज का वाद खारिज होते ही उसके सारे मंसूबों पर पानी फिर गया.
गिरफ्तार अभियुक्त –
देवराज तिवारी पुत्र अर्जुन प्रसाद निवासी THDC कॉलोनी निकट मधुर विहार फेज 2 बंजारा वाला, रोड़ नेहरू कॉलोनी, देहरादून, उम्र 64 वर्ष..