जवाबदेही:केस विवेचनाओं की नियमित मॉनिटरिंग के लिए Addl.SPs/COs होंगें जिम्मेदार: पुलिस मुख्यालय..न्यायालयीय निर्देशों के अनुपालन में थानों से लेकर कप्तानों तक जवाबदेही तय:DGP

गंभीर अपराधों की जांच में पारदर्शिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण बढ़ाने हेतु नियमित प्रशिक्षण पर जोर..

सीमित जनशक्ति, कानून व्यवस्था ड्यूटी व आपदा राहत एवं बचाव कार्य में व्यस्तता के साथ-साथ विवेचनात्मक गुणवत्ता बनाये रखना एक बड़ी चुनौती!– समय प्रबन्धन व सतत पर्यवेक्षण आवश्यक– डीजीपी..

विवेचना की गुणवत्ता सुधार हेतु डीजीपी उत्तराखंड की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक..

देहरादून: पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड- दीपम सेठ की अध्यक्षता में बुद्धवार(09जुलाई 2025) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गढ़वाल एवं कुमाऊ रेंज सहित समस्त जनपदों के वरिष्ठ/पुलिस अधीक्षकों के साथ एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई.. डीजीपी ने सभी अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि गंभीर अपराधों की विवेचना में गुणवत्ता, समयबद्धता और पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है.उन्होंने जांच रिपोर्ट, चार्जशीट एवं फाइनल रिपोर्ट आदि पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए..

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डीजीपी ने बताया कि अधिकतर अपराधों हेतु पुलिस मुख्यालय द्वारा सरल और अपराध-आधारित एस0ओ0पी0 तैयार की गई हैं, जिन्हें नए आपराधिक कानूनों के अनुरूप अद्यतन किया जाना आवश्यक है..डीजीपी ने कहा कि पुलिसिंग एक निरंतर चुनौती है.ड्यूटी लोड,दबाव एवं चुनौतियों के बावजूद हमें पेशेवर दक्षता और जवाबदेही के साथ कार्य करना है.उन्होंने यह भी कहा कि हमें निष्पक्ष रूप से पुलिसिंग का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना है जहां निरंतर सुधार की स्पष्ट रणनीति और ठोस क्रियान्वयन दिखे..

वही डीजीपी ने उच्च न्यायालय द्वारा प्रकरणों की जांच प्रक्रिया को लेकर की गई अपेक्षाओं से अधिकारियों को अवगत कराते हुए बताया कि विवेचना सही एवं निष्पक्ष हो इसके लिए इन्वेस्टिगेशन प्लान, वैज्ञानिक साक्ष्य, वीडियोग्राफी एवं इलेक्ट्रानिक साक्ष्य आदि का समावेश होना नितान्त आवश्यक हैं.एक विवेचक को अभियोजन अधिकारियों से पूर्व समन्वय स्थापित करना चाहिए ताकि प्रभावी न्यायिक प्रस्तुतिकरण सुनिश्चित हो सके.. 

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पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने निर्देशित किया कि सभी थानों की विवेचनाओं का प्रभावी पर्यवेक्षण, कमियों की पहचान और समयबद्ध सुधार सम्बन्धित क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक एवं जनपद स्तर पर सुनिश्चित किया जाए.मुख्यालय के निर्देशों की अवहेलना पर विवेचक, थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी और अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों का उत्तरदायित्व भी सुनिश्चित किया जाय..वही इस बैठक में राज्य के समस्त जनपद प्रभारियों द्वारा अपने-अपने सुझावों से अवगत कराया गया. इस दौरान पुलिस मुख्यालय स्तर पर गोष्ठी में उपस्थित उच्चाधिकारियों द्वारा गहन चर्चा कर विवेचना की गुणवत्ता में सुधार हेतु अपने अनुभव साझा किये..

डीजीपी द्वारा इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर निर्देश दिए गए..

1- नियमित रूप से ओ0आर0 के माध्यम से विवेचकवार विवेचना की गहन समीक्षा सुनिश्चित की जाए.. 

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2-प्रत्येक जनपद में क्षेत्राधिकारी व अपर पुलिस अधीक्षक स्तर तक अपराध समीक्षा की साप्ताहिक कार्ययोजना बनाई जाए..

2-जांच प्रक्रिया में वैज्ञानिक साक्ष्य, वीडियोग्राफी एवं इन्वेस्टिगेशन प्लान को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए..

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3- न्यायालय द्वारा किसी प्रकरण में दिए गए निर्देशों को जनपद क्राइम मीटिंग में अवश्य साझा किया जाए..

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4-प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार कर 3000 विवेचकों को चरणबद्ध रूप से नये अपराधिक कानूनों, वैज्ञानिक साक्ष्य, अभियोजन समन्वय एन0डी0पी0एस0, महिला एवं बाल अपराध, साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन हेतु भेजा जाए.   

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5- जनपद स्तर पर नियमित रूप से इन-हाउस प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये जाए..

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6-जांच अधिकारियों के वर्कलोड का भी आंकलन कर लिया जाए, जिससे विवेचनात्मक क्षमता का मूल्यांकन हो सके.

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7- सर्किलवार क्राइम मीटिंग, साप्ताहिक-मासिक अपराध समीक्षा का विवरण नियमित रूप से प्रेषित करना सुनिश्चित किया जाए..

परमजीत सिंह लाम्बा

संपादक - ख़बर सनसनी PH-7454913200,7906640014

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