देहरादून: उत्तराखण्ड वन इतिहास में बिन्सर अग्निकांड सबसे बड़ी दुर्घटना हैं.जिसमें जंगल की आग में 4 वनकर्मियों ने अपनी शहादत दी है और 4 वनकर्मी घायल है जो दिल्ली एम्स में जिन्दगी की जंग लड़ रहें हैं. इस दुर्घटना में पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है..मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के आलाधिकारियों के साथ घटना स्थल का जायजा लिया और घायल वनकर्मियों का हाल जाना है. लेकिन हैरानी की बात हैं कि बिन्सर वन्यजीव विहार जो चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन के सीधे नियंत्रण में आता हैं,उन्होंने इस मामलें से अपना पल्ला झांड लिया हैं. जिस वक्त यह घटना हुई चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन रामनगर में गवर्नर की वीआईपी ड्यूटी में लगे हुए थे.जानकारी होने के बावजूद वीआईपी ड्यूटी का बहाना कर चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन डॉ समीर सिन्हा पूरे प्रकरण से बाहर होते नजर आये.. हद तो तब हो गयी जब सिन्हा साहब घटना के कई दिन बीत जाने के बाद भी न तो घायलों को मिलने पहुंचे और न ही दुर्घटना स्थल पर पहुंचे..ऐसे में जान जोखिम में डाल कर दिनरात ड्यूटी करने वाले छोटे पद के वनकर्मियों का हौसला पस्त है. ऐसे आला अधिकारी केवल वीआईपी ड्यूटी में पहुंच कर अपनी इतिश्री कर रहें है. इन साहब को न तो विभाग की कोई सूध हैं,और न ही प्रदेश के वनों की कोई चिन्ता हैं..
मोटी तनख्वाह लेकर मौज काटने वाले अधिकारियों को जवाबदेह बनाना जरूरी…
बहराल सरकार को अब ऐसे आला अधिकारियों पर नकेल कसने और उनकी जवाबदेही तय करनी होगी.जो मोटी तनख्वाह लेने के साथ साथ सरकारी खर्चों पर मौज काट रहें हैं..वही इस संबन्ध में जब डॉ सिन्हा से बात करनी चाही तो वह पूरे प्रकरण से भागते नजर आ रहें हैं..