
हमें अपनी सरकारी जमीन हर हाल में चाहिए, ऐसे में ये अभियान और सख्ती से जारी रहेगा...भूमि कब्जाने वालों के खिलाफ़ सीधे FIR दर्ज !….
देहरादून: उत्तराखंड राज्य में धामी सरकार,सरकारी भूमियों पर अपने अतिक्रमण अभियान को और धार देने जा रही है..जानकारी के मुताबिक अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ नए कानून “भारतीय न्याय संहिता” (BNS-2023) के अंतर्गत मुकदमें दर्ज किए जा सकते है..यानी कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और अवैध क़ब्जे वालों पर कठोर धाराओं में मुक़दमा दर्ज कर सख़्त कार्रवाई की जाएगी !..
गौरतलब हो कि उत्तराखंड में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण एक जटिल और बड़ी समस्या बनी हुई है. बीते दो वर्षो में लगभग 09 हजार एकड़ सरकारी भूमि अतिक्रमणकारियों से खाली करवायी गई है.हालांकि
अभी भी हजारों हैक्टेयर सरकारी भूमि पर लोगों के अवैध कब्जे है,इसमें राजस्व ग्राम घोषित प्रस्तावित प्रक्रिया में शामिल ग्रामों को छोड़ कर शेष भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाने का अभियान धामी सरकार द्वारा तेज किया हुआ है.
जानकारी के मुताबिक अभी तक जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण करने वालों को नोटिस दिए जा रहे थे,लेकिन अब ऐसे मामलों में सख़्त शिकंजा कसने के तहत नोटिस भारतीय न्याय संहिता की धारा 111 के अंतर्गत क़ानूनी कारवाई करने के विषय भी जोड़े जाएंगे. उक्त धारा में जमीन कब्जे को भी अपराध माना जाता है। प्रशासन अब भूमि कब्जाने वालों के खिलाफ़ सीधे FIR दर्ज कर सकेगा..
उत्तराखंड में सरकारी भूमि पर कब्जे कर उसे खुर्दबुर्द करने वाले कई गिरोह चिन्हित किए गए है. इनपर अब सरकार कानूनी धाराओं के साथ साथ गिरोहबंदी ( गैंगस्टर) एक्ट भी लगाने का निर्णय लेने जा रही है.
वन विभाग,लोक निर्माण,सिंचाई,नदी श्रेणी, राजस्व, ग्राम समाज (सभा) आदि सरकारी विभागों की भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे है। पिछले दिनों धामी सरकार ने एक ऐप भी जारी किया,जिसमें अतिक्रमण करने के मामलें सामने आ जाएंगे.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार ये कहते आए है कि,राज्य सरकार अपनी भूमि से अवैध कब्जे हटाने के लिए प्रतिबद्ध है.उन्होंने कहा कि हमारे पास भूमि की कमी है,ऐसे में हमें अपनी जमीन हर हाल में चाहिए और ये अभियान और सख्ती से जारी रहेगा.