देश के पहले सीडीएस जनरल विपिन रावत पंचतत्व में विलीन हो गए। दिल्ली केंट के बरार स्क्वायर शमशान घाट पर पूरे राजकीय और सैन्य सम्मान के साथ आज उनका अंतिम संस्कार किया गया। साथ हादसे में ब्रिगेडियर एल एस लिड्डर को भी आज अंतिम विदाई दी गई। देश के इन महान सपूतों की अंतिम यात्रा में इन वीर योद्धाओं को श्रद्धांजलि देने जन सैलाब उमड़ पड़ा।
जरनल बिपिन रावत का पार्थिव शरीर उनके आवास पर आज सुबह से उनके अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया था। देश के वीर सपूत को श्रद्धांजलि देने पंहुचे हर व्यक्ति की आंखे नम थी और हर व्यक्ति उनके बस एक बार अंतिम दर्शन कर लेना चाहता था।
जरनल विपिन रावत की अंतिम यात्रा में सेना के करीब 800 जवान शामिल थे। तीनो सेनाओं के बैंड के 33 सदस्यों शोक धुन बजाते हुए अंतिम यात्रा में चल रहे थे। शव यात्रा के आगे सेना के ब्रिगेडियर स्तर के 6 अधिकारी तिरंगा लेकर चल रहे थे
जबकि 99 सैन्य कर्मी उनकी शव यात्रा को एस्कॉर्ट कर रहे थे। जनरल के सम्मान में जगह जगह उनको श्रद्धांजलि के होर्डिंग्स लगाए गए थे और लोग ” जब तक सूरज चंद रहेगा, विपिन रावत का नाम रहेगा” , विपिन रावत अमर रहे, भारतीय सेना जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे।
करीब शाम 5 बजे जनरल की शव यात्रा बरार स्क्वायर पंहुची जंहा देश के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित देश के बड़े बड़े नेताओ ने भी बरार स्क्वायर पंहुचकर जनरल विपिन रावत को श्रद्धांजलि अर्पित की। जनरल की दोनों बेटियों कृतिका और तारिनी ने अपने माता-पिता को श्रद्धांजलि दी। बेटी कृतिका ने अपने पिता और माता को मुखाग्नि दी।