सिडकुल उत्तरांचल के पूर्व जनरल मैनेजर को एक रिश्वत मामले में दोषी करार देते हुए देहरादून विजिलेंस कोर्ट में 4 साल की सश्रम सजा सुनाई है. इतना ही नहीं दोषी ठहराए गए अभियुक्त योगेंद्र नाथ अरोड़ा पर अदालत ने 10 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है.विजिलेंस अभियोजन अधिकारी अनुज साहनी के अनुसार विजिलेंस विशेष न्यायाधीश द्वारा आरोपी योगेन्द्र नाथ अरोड़ा को तमाम साक्ष्य व सबूतों के आधार पर दोषी पाते हुये धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत चार साल की सश्रम कारावास एंव 10 हजार रुपये जुर्माने से दण्डित किया गया हैं.
सिडकुल एरिया में कोने का प्लॉट देने के एवज़ में रिश्वत का खेल.
विजिलेंस के अनुसार मामला 25 जून 2004 का है.दिल्ली निवासी विनीत सूरी के शिकायती पत्र के अनुसार तत्कालीन सिडकुल उत्तरांचल जनरल मैनेजर योगेंद्र नाथ अरोड़ा द्वारा पंतनगर स्थित उत्तरांचल इंडस्ट्री एरिया में कोने का प्लाट देने के एवज में शिकायतकर्ता से 30 हजार रुपये रिश्वत की मांग की गई थी.इसी क्रम में 30 जून 2004 को आरोपी मैनेजर योगेंद्र अरोड़ा ने शिकायतकर्ता को 30 हज़ार रुपये लेकर देहरादून राजपुर रोड स्थित सिडकुल कार्यालय चंद्रलोक में बुलाया था. इस मामलें पर जाँचों उपरान्त आरोप सही पाये जाने पर विजिलेंस सैक्टर देहरादून द्वारा नियमानुसार 30 जून 2004 को तत्कालीन सिडकुल जनरल मैनेजर योगेन्द्र नाथ अरोड़ा पुत्र ईश्वर दास अरोड़ा निवासी 83/126 चुही खुर्द कानपुर उत्तर प्रदेश को शिकायतकर्ता विनीत सूरी से 30 हजार रूपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.अभियुक्त के खिलाफ धारा 07/13 (1डी0 सपठित धारा 13 (2) भ्र0नि0अधि0 1988 ) के तहत मुक़दमा पंजीकृत किया गया.इस केस में तत्कालीन विवेचना अधिकारी इंस्पेक्टर सुरेन्द्र सिंह बिष्ट द्वारा भौतिक/वैज्ञानिक साक्ष्यो के आधार पर न्यायालय में आरोप पत्र दाख़िल किया गया था.