छेड़खानी,मारपीट और लज्जाभंग वाला मुकदमा वापस लेने का दबाव..मामलें का उत्तराखंड महिला आयोग ने लिया संज्ञान…मुख्य सचिव और एसएसपी देहरादून को लिखा सख़्त कार्रवाई मांग पत्र..

भ्रामक खबरों वाले सोशल मीडिया  पर कार्रवाई की मांग:आयोग

देहरादून: थाना रायपुर क्षेत्र में स्थित एक प्राइवेट कोचिंग संस्थान में जबरन घुसकर महिलाओं के साथ छेड़छाड़,मारपीट-लज्जाभंग व तोड़फोड़ कर दबंगई दिखाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है.जानकारी के अनुसार अब इस मामलें आरोपियों द्वारा पीड़िताओं को सोशल मीडिया पर छवि भूमिल कर मुकदमा वापस लेने के लगातार दबाव बनाया जा रहा हैं. इतना ही नहीं आरोप हैं पीड़िताओं व उनके बच्चों को धमकाने और उनकी निजी जानकारी सार्वजनिक करने की भी लगातार धमकी दी जा रही हैं. ऐसे में इस विषय को लेकर पीड़िताओं ने राज्य महिला आयोग से शिकायत की,जिसके बाद मामलें की गंभीरता को देखते हुए महिला आयोग ने मुख्य सचिव और देहरादून एसएसपी को पत्र लिखकर आरोपित लोगों के खिलाफ जांच कर सख़्त कार्रवाई की मांग की है.. 

जानकारी के अनुसार सोमवार 22-जुलाई 2024 को राज्य महिला आयोग के कार्यालय में एक प्राइवेट कोचिंग संस्थान में महिला कर्मचारियों से मारपीट व लज्जा भंग की घटना में पीडित महिलाओं द्वारा शिकायत दर्ज की गई. जिसमें आयोग द्वारा उक्त प्रकरण में पीडिताओं से वार्ता कर मामले की जानकारी ली गई. इस दौरान पीड़िताओं ने बताया कि बीते वर्ष 23-मार्च 2023 को बॉबी पवांर, आशीष नेगी, संदीप टम्टा व उनके अन्य सहयोगियो द्वारा उनके संस्थान के कार्यालय में आकर उनके साथ मारपीट,छेडछाड व लज्जा भंग करने का प्रयास किया गया. घटना के बाद इस सम्बन्ध में उनके द्वारा थाना रायपुर पर मामला दर्ज कराया गया था.लेकिन उक्त घटना के उपरान्त इस मामलें में बॉबी पवांर व उसके साथियों द्वारा सोशल मीडिया के अलग-अलग पोर्टलों पर पोस्ट डालकर पीडिताओं और उनके सहयोगियों के विरूद्ध लगातार कमेंट किये गये.इतना ही नहीं तरह-तरह से उनको डराते हुए मुक़दमें को वापस लेने का दबाव भी बनाया गया.इस  कारण सभी पीडिताएं लम्बे समय तक भय में रही. हालांकि पीडिताओं द्वारा हिम्मत करके उक्त मामले में न्यायालय के समक्ष अपने बयान दर्ज कराये गये.इसके बाद पुलिस द्वारा विवेचना पूर्ण करते हुए उक्त मुकदमें में बाबी पवांर,आशीष नेगी और संदीप टम्टा  के विरूद्ध चार्जशीट कोर्ट भेजी गयी हैं.लेकिन उसके उपरान्त भी आरोपियों और उनके सहयोगियों द्वारा कई सोशल मीडिया प्लेटफार्म/पोर्टलों पर पीड़िताओं की पहचान व निजी जानकारी सहित आपत्तिजनक पोस्ट व भद्दे कमेंटो के माध्यम से पीडिताओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है,जो कि हमारी निजता व गरिमा के विपरीत है. 

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राज्य महिलाआयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल द्वारा उक्त प्रकरण में पीड़ित महिलाओं के लिखित व मौखिक बयानो का संज्ञान लेते हुए एसएसपी देहरादून अजय सिंह से फोन पर वार्ता की गई.साथ ही उक्त प्रकरण में सोशल मीडिया/ पोर्टलों के माध्यम से प्रसारित की गयी.ऐसी सभी पोस्टों अथवा कमेंटो को जो प्रकरण से सम्बन्धित पीड़ित महिलाओं की पहचान सम्बन्धी या गरिमा के विरूद्ध हों.ऐसे सभी प्रकरणों का तत्काल संज्ञान लेते हुए सम्बन्धित व्यक्तियों के खिलाफ सख्त वैधानिक कार्यवाही की मांग की गई हैं..

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आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले सोशल मीडिया अकाउंट और पोर्टलों पर कार्रवाई हो:आयोग

वही इसके अतिरिक्त उत्तराखंड महिला आयोग ने ऐसे सभी सोशल मीडिया एकाउंट्स/पोर्टलों जिन पर पीड़ित महिलाओं से सम्बन्धित अपराधों के सम्बन्ध में आपत्तिजनक बातें अथवा महिला अपराधों के विचाराधीन मामलों उनकी पहचान व निजता की जानकारी के संबंध में कमेंट किये जा रहे हों, ऐसे सभी एकाउण्टों/ पोर्टलों को तत्काल ब्लाक करवाते हुए उनके संचालको के विरूद्ध भी कार्रवाई सुनिश्चित करने की बात की कही हैं.

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भ्रामक खबरों वाले सोशल मीडिया  पर कार्रवाई की मांग:आयोग

महिला आयोग अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को भी इस प्रकार के प्रकरणों में पत्र भेजते हुए कहा गया कि आज सोशल मीडिया,न्यूज चैनल या समाचार पत्र हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया हैं.कोई भी व्यक्ति इनके माध्यम से अपनी बात समाज तक पहुँचाने हेतु स्वतंत्र है,किन्तु महिला या बच्चों के विरूद्ध हो रहे आपराधिक प्रकरणों में पीडिता के निजी जीवन की जानकारी का उल्लेख (नाम, पहचान या सम्बन्धित अन्य जानकारी सहित) सोशल मीडिया,न्यूज चैनल व समाचार-पत्र इत्यादि के माध्यम से प्रसारित करना प्रतिबन्धित एवं अपराध की श्रेणी में आता हैं. इस तरह का कृत्य पीडित महिला व बच्चे की निजता का हनन है,जिससे समाज में उसे मानसिक प्रताड़ना झेलने के साथ ही भविष्य में असुरक्षा का सामना भी करना पड़ सकता है. इससे उसकी सामाजिक छवि भी धूमिल होती है.आयोग ने कहा कि ऐसे में आपराधिक प्रकरणों में सोशल मीडिया,न्यूज चैनल व समाचार-पत्र इत्यादि माध्यम से उक्त प्रतिबन्धित कार्य किये जाने के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही अमल में लाना अत्यन्त आवश्यक हैं.

खबर सनसनी डेस्क

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