देहरादून: थाना रायपुर पुलिस ने एक शातिर गिरोह का पर्दाफाश कर 4 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है, जो बैंक की नकली एनओसी तैयार कर रिकवरी हुए उन टू व्हीलर वाहनों को बेचने का गोरखधंधा चला रहे थे.जिन वाहनों का बैंक में किस्तें न चुकाने से Loan बक़ाया चल रही हैं.दिलचस्प बात यह है कि गिरफ्तार गैंग के चारों लोग बकायदा IDFC बैंक के दुपहिया लोन रिकवरी कंपनी में एजेंट के रूप में कार्यरत थे.यही कारण रहा कि उनके पास EMI न चुकाने वाले वाहनों की न सिर्फ़ बैंक डिटेल होती थी.बल्कि बक़ाया लोन अदा न करने वालों के वाहन रिकवरी का भी जिम्मा था.पुलिस खुलासे के मुताबिक गिरोह पिछले डेढ़ वर्षो से अब तक देहरादून के राजपुर रोड स्थित IDFC बैंक से फाइनेंस हुई 80 से 90 दुपहिया वाहनों का नकली बैंक NOC बनाकर उन्हें बेच चुका हैं. गिरफ्तार गिरोह की अभियुक्त राहुल खरोला, दीपक धने, शाहरुख अहमद और अजहर के कब्जे से 15 फर्जी बैंक एनओसी, प्रिंटर,लैपटॉप, कई फर्जी RTO आरसी, बैंक के दस्तावेज सहित कई फर्जीवाड़े से संबंधित साक्ष्य व सबूत बरामद हुए है.
बैंक के दूसरे रिकवरी एजेंसी की कार्यवाही उपरांत मामला प्रकाश में आया
देहरादून DIG/SSP दलीप सिंह कुँवर के मुताबिक इस गिरोह का पर्दाफाश करने में पुलिस को तब सफलता हाथ लगी जब रायपुर निवासी एक व्यक्ति को इस गिरोह द्वारा 61 हजार में एक एक्टिवा बेची गई.लेक़िन जिस एक्टिवा वाहन का फ़र्ज़ी NOC बनाकर उसे बेचा गया, उसका IDFC बैंक से बिना सेटलमेंट के ही लोन बकाया चल रहा था.दरसल वाहन खरीदने के कुछ दिन बाद रायपुर निवासी शिकायतकर्ता एक्टिवा गाड़ी आईडीएफसी बैंक के दूसरे एजेंसी ने यह कहकर रिकवरी कर ली कि इसमें अभी बैंक लोन का 55 हजार बकाया हैं.
बैंक आरटीओ और रिकवरी एजेंसी संचालक भी जांच के घेरे में
पुलिस खुलासे के मुताबिक इस गंभीर किस्म के अपराध में अब संबंधित बैंक व आरटीओ सहित त्रिशक्ति सर्विसेज रिकवरी एजेंसी के संचालक को भी जांच के घेरे में लिया गया है. यह बात हैरान करने वाला है कि कैसे रिकवरी एजेंसी के संचालक को इस बात की भनक नहीं.वही दूसरी तरफ इस पूरे गोरखधंधे में संबंधित बैंक और RTO कार्यालय की भूमिका भी कई कारणों से जांच के घेरे में है.क्योंकि पिछले डेढ़ साल से यह गोरखधंधा चल रहा था.लेकिन अब तक संबंधित संस्थानों द्वारा कोई शक सुबा पर शिकायत पुलिस तक क्यों नहीं दी गई.
अपराध का तरीका
पुलिस खुलासे के मुताबिक अभियुक्त राहुल खरोला, दीपक धने और शाहरुख अहमद से पूछताछ में पता चला कि यह लोग लगभग 3 साल से सहस्त्रधारा रोड स्थित त्रिशक्ति सर्विसेस रिकवरी एजेंसी में काम करते हैं. रिकवरी एजेंसी का मालिक आनंद सिंह खरोला रायपुर नकरौंदा का निवासी है.त्रिशक्ति रिकवरी कंपनी को IDFC फर्स्ट बैंक से जिन गाड़ियों का लोन या किस्त ग्राहक नहीं चुका पाते उन गाड़ियों को रिकवरी करने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल है.ऐसे में शाहरुख और अहमद का काम रिकवरी गाड़ियों को उठाने का है.जबकि राहुल खरोला व दीपक धने ऑफिस में बैठकर फ़र्जी NOC दस्तावेज तैयार करते हैं. वही अजहर का काम रिकवरी गाड़ियों को सेल परचेज का करने का हैं.अजहर ही ग्राहकों को ढूंढ कर लाता है और रिकवरी हुई वाहनों को पसंद करा उन्हें बेचने का काम भी करता है.ग्राहक को गाड़ी पसंद आने के बाद अजहर ही गाड़ियों के कागज और तैयार फ़र्जी एनओसी को लेकर नए ग्राहक की गाड़ी का आरटीओ जाकर उनके कागज तैयार कर ट्रांसफर कराने का काम करता है. राहुल और दीपक धने दोनों मिलकर बैंक से मिले मूल वाहनों की एनओसी की पीडीएफ बनाकर रिकवरी वाहनों की डिटेल भरकर फर्जी एनओसी तैयार करते हैं.काम होने के बाद चारों ही रिकवरी वाली वाहनों को फर्जी एनओसी से बेचने वाली रकम को आपस में बांट लेते हैं..
बहराल हैरानी की बात है मात्र एक रायपुर निवासी शिकायतकर्ता के बाद यह मामला उजागर हुआ. लेकिन डेढ़ साल से अब तक किसी अन्य शिकायतकर्ता या सम्बंधित बैंक और आरटीओ जैसे संस्थानों से पुलिस को शिकायत क्यों नहीं मिली.यह कई तरह के शक पैदा करता है.
बाइट:दलीप सिंह कुँवर,DIG/SSP देहरादून