
विशेष समुदाय बाहुल्य इलाकों में सर्वाधिक बिजली चोरी के मामलें..मुख्यमंत्री धामी ने कहा बिजली चोरी को हर हाल में रोका जाएगा..चोरी रोकने के लिए ऊर्जा विभाग को चाहिए पुलिस फोर्स…
देहरादून: उत्तराखंड जैसे छोटे से पहाड़ी राज्य में एक हजार करोड़ से अधिक कीमत की बिजली चोरी होने की जानकारी हैं ? .ये बात सत्य है.और अब धामी सरकार ने बिजली चोरी को रोकने के लिए ऊर्जा विभाग के पेच कसने शुरू कर दिए है.क्योंकि ऊर्जा विभाग बिजली चोरी को रोकने में पूरी तरह से अब नाकाम साबित हुआ है.ऐसी जानकारी है कि लंबे समय से उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बिजली चोरी विशेष समुदाय बाहुल्य इलाकों में हो रही है.लेकिन मजाल हैं कि ऊर्जा विभाग उसे रोक पाए. ऐसे में उक्त चोरी का खामियाजा राज्य के उन बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है जोकि बिजली का नियमित भुगतान करते है,और उन्हें ही महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है.
करीब एक हजार करोड़ की बिजली चोरी का आर्थिक बोझ सरकार उठाने की स्थिति में नहीं है,और वो इसका बोझ उपभोक्ता पर डाल रही है..


आठ शहरों में 27 प्रतिशत से लेकर 69 प्रतिशत तक लाइन लॉस बिजली..
उत्तराखंड में सिर्फ आठ शहरों का ही एटीएंडसी लॉस राज्य के अन्य 114 शहरों पर भारी पड़ रहा है। इन आठ शहरों में 27 प्रतिशत से लेकर 69 प्रतिशत तक लाइन लॉस हो रहा है। इसकी एक सबसे बड़ी वजह बिजली चोरी और बिजली बिलों का भुगतान न करना है। इस नुकसान के मामले में पहाड़ का सिर्फ जोशीमठ और अन्य सात शहर हरिद्वार और यूएसनगर के हैं।
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने ऊर्जा निगम के एटीएंडसी लॉस और डिस्ट्रीब्यूशन लॉस का ब्यौरा अपने विस्तृत टैरिफ ऑर्डर में जारी किया है। इसमें बताया गया है कि लक्सर, लंढौरा, मंगलौर, सितारगंज, खटीमा, गदरपुर, जसपुर, खटीमा, में सबसे अधिक वित्तीय और ट्रांसमिशन लॉस हो रहे हैं।
इसी के साथ ही इन शहरों में सबसे अधिक पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन लॉस है और इसका सीधा खामियाजा पूरे उत्तराखंड की जनता को महंगी बिजली के रूप में भुगतना पड़ रहा है। इन आठ शहरों का खामियाजा उत्तराखंड के अन्य 114 शहरों को भुगतना पड़ रहा है। उत्तराखंड में ऊर्जा निगम के 46 डिवीजन हैं। इन 46 डिवीजनों में 19 पहाड़ और 27 मैदान में हैं। इसी तरह कुल 122 सब डिवीजन हैं। इनमें 51 पहाड़ और 71 मैदान में हैं।
विधि सदस्य नियामक आयोग की रिपोर्ट है कि टैरिफ ऑर्डर में ऊर्जा निगम को सख्त लहजे में साफ कर दिया गया है कि हर हाल में इस लॉस को कम किया जाए।
इसके लिए ऊर्जा निगम के कार्यों की नियमित निगरानी की जाएगी। नियमित रूप से कार्यों का ब्योरा लिया जाएगा। एनर्जी ऑडिट सुनिश्चित किया जाएगा। ओएंडएम और कैपिटल मद में होने वाले खर्चों पर भी नजर रखी जाएगी।
बढ़ता जा रहा है नुकसान का आंकड़ा
वर्ष 2021-22 में ऊर्जा निगम का कुल डिस्ट्रीब्यूशन लॉस 14.70 प्रतिशत रहा। 2022-23 में ये बढ़ कर 16.39 प्रतिशत पहुंच गया। वित्तीय वर्ष 2023-24 में ये कुछ कम 15.63 प्रतिशत रहा।
एक हजार करोड़ का नुकसान
ऊर्जा निगम को हर साल वित्तीय और ट्रांसमिशन लॉस से सालाना एक हजार करोड़ का नुकसान होता है। हालांकि, उत्तराखंड में बिजली चोरी रोकने को विभाग की ओर से सख्त अभियान भी चलाया जा रहा है।

तकनीक का सहारा
ऊर्जा विभाग ने तकनीक का सहारा लेकर ये पता लगाना शुरू कर दिया है कि किस ट्रांसफार्मर से बिजली चोरी हो रही है। इसके लिए ड्यूल मीटर लगाए गए है जिससे हर उपभोक्ता की जानकारी अब विभाग के पास रहती है कि बिजली चोरी कहां हो रही है।
जानकारी के अनुसार गदरपुर में 30.58 प्रतिशत,जसपुर 27.00, खटीमा 53.00 लक्सर 27.00 लंढौरा 69.40 मंगलौर 47.62 सितारगंज में 27.25 प्रतिशत का लाइन लॉस है। इसमें गैर करने की बात है कि ये सभी उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र के डिविजन है और इनमें ज्यादातर विशेष समुदाय बाहुल्य इलाके है। जहां बिजली चोरों के खिलाफ ऊर्जा विभाग कतराता रहता है और इसकी बड़ी वजह यहां जब जब भी बिजली चोरों के खिलाफ कारवाई हुई भीड़ ने ऊर्जा विभाग की टीम पर संगठित होकर हमला किया है।हाल ही में हरिद्वार ऊर्जा विभाग ने हिम्मत दिखा कर पिरान कलियर क्षेत्र में 23 बिजली चोरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है ये सभी विशेष समुदाय से है।
हरिद्वार के ऊर्जा विभाग के चीफ शेखर त्रिपाठी ने बताया कि बिजली चोरी रोकने के लिए अभियान शुरू किया गया है हमने पुलिस फोर्स भी मांगी है। हमारा संकल्प है कि हरिद्वार में ट्रांसमिशन लॉस को खत्म किया जाए जिससे राज्य पर आर्थिक बोझ न पड़े।
सीएम धामी के स्पष्ट निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि बिजली चोरी को रोकना ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी है।करोड़ों रु का लॉस हो रहा है ये सरकार पर आर्थिक भार है और आम उपभोक्ता पर भी इसका असर हो रहा है। इसको रोकने के लिए सख्ती जरूरी है इसके लिए फोर्स का भी प्रयोग किया जाएगा।









