देहरादून: सचिवालय सहकारी समिति कॉलोनी के नाम पर थाना पटेल नगर क्षेत्र के अंतर्गत भारूवाला कारगी क्षेत्र में सैकड़ो सरकारी कर्मचारियों को रिहायशी प्लाट बेचने के नाम पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया हैं. बताया जा रहा है कि इसमें भारी संख्या पुलिसकर्मी,बैंक कर्मी,शिक्षा कर्मियों सहित सचिवालय कर्मचारी/अधिकारी ठगी के शिकार हुए हैं.इसी ठगी के शिकार हुए सचिवालय के एक रिटायर्ड अधिकारी द्वारा बुद्धवार एसएसपी देहरादून अजय सिंह से मुलाकात कर अपने साथ हुए धोखाधड़ी को लेकर शिकायत की. पीड़ित शिकायतकर्ता के अनुसार उन्होंने 21 मई 2018 को सचिवालय समिति वालों एक प्लाट खरीदा था.लेकिन रजिस्ट्री और उसके दाखिल खारिज होने के बावजूद उन्हें अब तक प्लॉट में कब्जा नहीं मिला है. शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है कि 7 वर्ष गुजर के उपरांत थक हार कर उन्हें बीते मार्च महीने में सचिवालय समिति द्वारा प्लॉट के बदले पैसे वापस देने का एग्रीमेंट बनाकर आश्वासन तो दिया गया था.लेकिन उसके बावजूद अब तक उन्हें पैसे वापस नहीं मिले हैं..
देहरादून एसएसपी कार्यालय में तैनात कई पुलिसकर्मी भी प्लाट खरीदने में ठगी के शिकार
जानकारी के अनुसार सचिवालय सहकारी समिति द्वारा प्लाट बेचने में हुए ठगी मामले में देहरादून एसएसपी कार्यालय में तैनात कई पुलिस कर्मचारी भी फंसे हैं. हालांकि इसमें से कुछेक कर्मियों ने प्लॉट में कब्जा ले लिया है,तो कुछ पुलिस कर्मचारियों ने अपने पैसे वापस ले लिए हैं..
मामला गंभीर है,विस्तृत जांच कर आवश्यक कार्रवाई के आदेश दिए गए :एसएसपी दून
इस मामले में देहरादून एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि मामला बेहद गंभीर है.सहकारी समिति के नाम पर जिस तरह से सरकारी अधिकारी कर्मचारियों को रिहायशी प्लाट बेचने के नाम पर अनिमितताओं की शिकायतें आ रही हैं.उसको देखते हुए थाना पटेल नगर इंस्पेक्टर को विस्तृत रूप में जांच पड़ताल कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
2016 में सिमिति ने 471 प्लाट काटकर बेचने का सिलसिला शुरू किया था..
जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में उत्तराखंड सचिवालय सहकारी समिति के नाम से पटेलनगर के भारूवाला कारगी क्षेत्र में (विजिलेंस मुख्यालय) के समीप सरकारी अधिकारी/कर्मचारी को एक तय मूल्य के अनुसार रिहायशी प्लाट बेचने का सिलसिला शुरू किया गया था.इसमें 471 प्लॉट काटे गए थे. लेकिन प्लॉटों की रजिस्ट्री व दाखिल खारिज करने के बावजूद काफी संख्या में खरीदारों को ना तो प्लॉट का कब्जा मिला और नहीं पैसे वापस मिले. हालांकि कुछ खरीदार पुलिस कर्मियों ने प्लॉट न मिलने के चलते सिमिति वालों अपने पैसे वापस ले लिए हैं. जानकारी के अनुसार अब भी 87 सरकारी कर्मियों को प्लॉट का कब्जा मिल सका हैं